Biography of Gopal Krishna Gokhale

आज की इस टॉपिक में हम देखेंगे biography of Gopal Krishna Gokhale in Hindi language हम आपके लिए Biography of Gopal Krishna Gokhale जी की जीवनी लेकर आए हैं !

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>>> गोपाल कृष्ण गोखले जी का जीवन परिचय <<<

एक कक्षा में शिक्षक गणित पढ़ा रहे थे उन्होंने कुछ प्रश्न हल करने के लिए दिए उस कक्षा में गोपाल नाम का तेज विद्यार्थी पढ़ता था उसने तुरंत प्रश्न हल किया और शिक्षक को कॉपी जांचने के लिए दी उसकी कॉपी जांचने के बाद शिक्षक चकित रह गए क्योंकि उसने सभी प्रश्न सही सही हल किए थे उन्होंने कुछ और प्रश्न गृह कार्य में बनाने के लिए दिया गोपाल घर जाते ही प्रश्न हल करने बैठ गया उसकी मां ने कहा बेटा पहले खाना खा लो बाद में प्रश्न हल कर लेना गोपाल ने कहा मां मैंने सभी प्रश्न हल कर लिए हैं बस मुझे एक प्रश्न समझ में नहीं आ रहा है मैं उसे हल करके खाना खाने आ जाऊंगा !

तभी उसका मित्र वहां आता है वह अपने मित्र से उस प्रश्न को हल करवा लेता है अगले दिन जब शिक्षक ने कॉपी जाँची तो पूरी कक्षा में गोपाल के ही सभी सभी उत्तर सही थे उन्होंने गोपाल को शाबासी देते हुए कहा.. “बेटा गोपाल मुझे तुम पर गर्व है !” फिर उन्होंने जेब से एक पेन निकाला और गोपाल को देते हुए कहा बेटा यह पेन तुम्हें मैं पुरस्कार स्वरूप देता हूं !

शिक्षक की बात सुनते ही गोपाल रोने लगा गोपाल को रोता देख शिक्षक हैरान रह गए उन्होंने पूछा ? अरे बेटा तुम क्यों रो रहे हो ? गोपाल बोला… “गुरूजी” मैं पुरस्कार पाने के योग्य नहीं हूं मैंने सभी प्रश्न तो स्वयं हल किए हैं लेकिन एक प्रश्न मुझे समझ में नहीं आ रहा था उसे मैंने अपने मित्र की सहायता से हल किया !

गुरुजी ने कहा पहले तुम्हें सवालों को हल करने के लिए पुरस्कार दिया जा रहा था किंतु अब यह तुम्हें तुम्हारी सच्चाई के लिए दिया जा रहा है !

क्या आप जानते हैं ? यह बालक कौन था ?

इस बालक का पूरा नाम गोपाल कृष्ण गोखले था ! यह बालक बड़ा होकर हमारे देश का महान नेता बना ! महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु मानते थे !

>>> शिक्षा <<<

जो व्यक्ति सदा सच बोलते हैं सच्चाई का साथ देते हैं वह जीवन में उच्च पद को प्राप्त करते हैं ! गोपाल कृष्ण गोखले भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे !

उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 9 मई 1866 को एक चितपावन ब्राह्ममण परिवार में हुआ था ! वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे !

महात्मा गांधी ने राजनीति के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा और इसीलिए वह राष्ट्रपिता के राजनीतिक गुरु कहलाए !

गोखले का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उनके पिता कृष्ण राव पेशे से क्लर्क थे ! अपनी शिक्षा दीक्षा के दौरान वे अत्यंत मेधावी छात्र थे ! पढ़ाई में सराहनीय प्रदर्शन के लिए जब उन्हें सरकार की ओर से 20 रुपए की छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हुई तो उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की काफी सराहना मिली, लेकिन लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन यह मेधावी विद्यार्थी भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का राजनीतिक गुरु कहलाएगा !

इतिहासकार एच.एन. कुमार का कहना है कि अधिकतर लोग गोखले को सिर्फ महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु के रूप में ही जानते हैं लेकिन वह सिर्फ राष्ट्रपिता ही नहीं बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी राजनीतिक गुरु थे ! उनका मानना है कि यदि आजादी के समय गोखले जीवित होते तो शायद जिन्ना देश के बंटवारे की बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते !

इतिहास के प्रोफेसर के.के. सिंह का कहना है कि गांधी जी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी ! उन्हीं की प्रेरणा से गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया ! उन्होंने कहा कि गांधी जी के आमंत्रण पर 1912 में गोखले खुद भी दक्षिण अफ्रीका गए और रंगभेद की निन्दा की तथा इसके खिलाफ आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया !

जन नेता कहे जाने वाले गोखले एक नरमपंथी सुधारवादी थे ! उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही देश में व्याप्त जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ भी संघर्ष किया ! वह जीवनभर हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे और मोहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना !

यह बात अलग है कि बाद में जिन्ना देश के बंटवारे का कारण बने और गोखले द्वारा दी गई शिक्षा का पालन नहीं किया ! गोखले पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे ! उन्होंने इस कॉलेज में अध्यापन का कार्य करने के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां भी जारी रखीं !

गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य भी थे ! भारत भूमि को गुलामी से आजाद कराने के लिए जन्मे इस वीर सपूत का 19 फरवरी 1915 को निधन हो गया ! ऐसे महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे गोपाल कृष्ण गोखले की देशभक्ति आध्‍यात्मिकता पूर्ण थी !

>>> गोपाल कृष्ण गोखले बड़े होकर क्या बने <<<

उन्होंने गोखले को मुंबई स्थित डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी में सम्मिलित होने का आमंत्रण दिया गोखले सन 18 सो 86 में इस सोसायटी के स्थाई सदस्य बन गए गोपाल कृष्ण गोखले ने 20 वर्ष तक शिक्षक के रूप में कार्य किया 18 सो 86 में वह फग्यूर्सन कॉलेज में अंग्रेजी के अध्यापक के रूप में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी में सम्मिलित हुए !

>>> गोखले भारती कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने <<<

वर्ष 1950 में गोपाल कृष्ण गोखले अपनी राजनीतिक लोकप्रियता के चरम पर थे उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया इसके बाद उन्होंने भारतीय शिक्षा को विस्तार देने के लिए सर्वेंटर ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की !

>>> गोखले कौन थे और उनकी क्या इच्छा थी >>>

1905 में जब गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और अपनी राजनीतिक शक्ति के चरम पर थे उन्होंने विशेष रूप से अपने सबसे प्रिय कारणों में से एक को आगे बढ़ाने के लिए स्वेटर ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की !

जन्म- 9 मई सन् 18066

जन्म स्थान – कोटलुक रत्नागिरी, मुंबई

पिता- कृष्ण राव गोखले

माता – वालुबाई गोखले

शिक्षा प्राप्त की- एल्फिन्स्टोन कॉलेज

कार्य – समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी

मृत्यु -19 फरवरी 1915 (उम्र 48)

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