आज की इस टॉपिक में हम देखेंगे Biography of Dr. Keshav Raw Baliram Headgear. हम आपके लिए डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जी की जीवनी लेकर आए हैं !
आप Dr. Keshav Raw Baliram Headgear जी की जीवनी को Social Media पर शेयर करके अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और स्टूडेंट्स को प्रेरित कर सकते हैं !
>>> डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय <<<
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के माध्यम से सम्पूर्ण राष्ट्र में नव जागरण की ज्योति जगाने वाले डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म एक अप्रेल अट्ठारह सौ नवासी (01/04/1889) की प्रभात वेला में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था !केशव बलीराम हेडगेवार के पिता का नाम पंडित बलिराम हेडगेवार था और माताजी का नाम रेवतीवाई। पंडित बलिराम प्रतिदिन अग्निहोत्र करने वाले, वेद वेदांगों के ज्ञाता विद्वान ब्राह्मण थे। उनके तीन पुत्र और एक कन्या थी। बड़े पुत्र थे महादेव शास्त्री, दूसरे पुत्र का नाम सीताराम तथा सबसे छोटे पुत्र केशव थे।1902 में प्लेग की महामारी फैलने से केशव के माता-पिता दोनों ही स्वर्गवासी हुए। उस समय उनकी आयु कुल बारह वर्ष की थी। बचपन से ही केशव को महाभारत, रामायण, गीता तथा समर्थ रामदास स्वामी कृत मनोबोध के श्लोकों का पठन करने तथा उन्हें याद करने में गहरी रुचि थी।उनके प्रिय आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज थे। उन्हें अंग्रेजी शासन से घृणा थी इसलिए एक बार जब रानी विक्टोरिया के राज्य के साठ वर्ष पूरे हुए थे तब उन्होंने विद्यालय में मिली हुई मिठाई को घृणापूर्वक फेंकते हुए कहा “देश को गुलाम बनाने वालों की प्रसंन्नता में हम क्यों सम्मिलित होवें।”1909 में अंग्रेजों की दमन नीति के कारण पाठशाला बन्द हो गई। तब केशव दो मास तक पूना स्थित जगद्गुरु शंकराचार्य के मठ में रहे। अपनी शालान्त परीक्षा उन्होंने अमरावती से उत्तीर्ण की। डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुजे की सहायता से वे आँग्ल-वैद्यक की शिक्षा प्राप्त करने कलकता चले आए। वहां उन्होंने नेशनल मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण की। डॉक्टर बनते ही उन्हें ब्रह्मदेश से नौकरी का आमंत्रण मिल गया। पर उन्होंने कहा – मैंने अपने आपको भारत माता की सेवा में अर्पित कर दिया है। अतः मैं नौकरी कहीं नहीं करूंगा। नागपुर लोटकर गृहस्थी बसाकर, क्रांतिकारियों के साथ गिलकर भारत को स्वतंत्र कराने के महान् कार्य में जुटगए।लोकमान्य तिलक के विचारों से केशब बहुत प्रभावित थे। अत: मुंजे का पत्र लिखकर वे पूना जाकर लोकमान्य तिलक से मिले और उनसे विविध सामाजिक तथा राजनीतिक विषयों पर चर्चा की। तिलक जी भी इस उत्साही युवक से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने दो विन तक उन्हें आग्रह पूर्वक अपने घर पर रोका।1 अगस्त 1920 को लोकमान्य तिलक का देहावसान हुआ। इसी समय नागपुर में कांग्रेस का अखिल भारतीय अधिवेशन तय किया गया। डॉ केशव बलिराम हेडगेवार तन-मन-धन से इस अधिवेशन के आयोजन में लग गए। 1921 में असहयोग आन्दोलन में भी गाँव-गाँव धूमकर उन्होंने ओजस्वी व्याख्यान दिए।इस कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्होंने स्वयं अपने मुकदमे की पैरवी करते हुए अँग्रेजी शासन की कटु आलोचना की। इस कारण उन्हें एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा हुई। 12 जुलाई 1922 को डॉक्टर साहब को कारागृह से मुक्त किया गया।
>>> राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना/आरएसएस की स्थापना <<<
कारागार से छूटने के बाद वे गहन चिन्तन में डूब गए। उनके मन में विचार आया कि देश धर्म के लिए अपना घर बार छोड़कर, निजी सुख को तिलांजलि देने वाले युवकों का संगठन तैयार करना चाहिए। अत: उन्होंने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर के महाल मोहल्ले के सरदार मोहिते के मकान के बाड़े में आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।पहले दिन केवल 5 युवक एकत्र हुए। धीरे-धीरे उनकी संख्या एक सौ तक हो गई। कुछ दिन बाद डॉक्टर साहब ने वहां प्राथमिक सैनिक शिक्षा प्रारम्भ की। धीरे-धीरे संघ का कार्य बढ़ने लगा। कार्य बढ़ने के साथ-साथ संघ का विरोध भी बढने लगा।अँग्रेज शासक भी संघ के बढ़ते हुए प्रभाव को देखकर सतर्क हो गए। मार्च 1930 में गाँधी जी ने नमक सत्याग्रह शुरू कर दिया। मध्य प्रदेश में समुद्र तो था नहीं। अतः अन्य कानून तोड़ने के लिए बापू ने जंगल सत्याग्रह का आङ्कान किया।22 जुलाई 1931 को डॉक्टर साहब ने सैकड़ों स्वयंसेवकों के साथ यवतमाल में जंगल सत्याग्रह प्रारम्भ किया। उन्हें नौ माह की कारावास की सजा सुनाई गई। 14 फरवरी 1930 को कारागार से मुक्त होकर डॉक्टर जी पुनः संघ कार्य के विस्तार में जुट गए।डॉक्टर केशव राव का व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तीनों रूपों से पूर्ण विकसित था। उनका शरीर एक पहलवान की तरह बलिष्ठ और शक्तिशाली था पर स्वभाव से वे उतने ही मृदुल और विनम्र थे। उनका प्रत्येक व्यवहार सौजन्यशील और सौम्य रहा करता था। उनके मुखमण्डल पर सदैव मुस्कराहट बनी रहती थी।
>>> डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का निधन <<<
डॉ. केशवराव हेडगेवार जी ने 1925 से लेकर अपने निधन यानि 1940 तक उन्होंने 15 साल तक (1925-1940) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के रूप में कार्य किया। 21 जून 1940 के दिन नागपुर में उनका निधन हो गया। उनका अंत्येष्टि संस्कार रेशम बाग़ नागपुर में हुआ था, जहां पर उनकी समाधी स्थित है।आज के समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) विश्व का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन बन चुका है। इस संगठन में करोड़ो स्वयंसेवक निस्वार्थ जुड़े हुए है।
>>> राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालको की सूची <<<
डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार 1925 से 1940माधव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरूजी) 1940 से 1973मधुकर दत्तात्रय देवरस 1973 से 1993प्रो. राजेंद्र सिंह 1993 से 2000कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन (के एस सुदर्शन) 2000 से 2009
>>> डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत 2009 से वर्तमानकेशव बलिराम हेडगेवार के विचार <<<
जीवन में नि:स्वार्थ भावना आये बिना खरा अनुशासन निर्माण नहीं होता।हिन्दू समाज में तरुण पीढी को हाथ में लेकर उसके ऊपर संस्कार डालने चाहिए।आपस के सारे कृत्रिम ऊपरी भेद मिटा कर सम्पूर्ण समाज एकत्व और प्रेम की भावना से तथा हिन्दू जाति को गंगा के हम सब हिन्दू की ओर टेढ़ी नजर से नहीं देख सकेगी।भावना के वेग तथा जवानी के जोश में कई तरुण खड़े हो जाते हैं, परन्तु दमन चक्र प्रारंभ होते ही वे मुंह मोड़ कर सदा के लिए सामाजिक क्षेत्रों से दूर हट जाते हैं। ऐसे लोगों के भरोसे देश की विकट तथा उलझी समस्याएँ कैसे सुलझ सकेगी?हिन्दू-मुसलमानों की एकता की कल्पना भ्रम मात्र है।इस समाज को जागृत एवं सुसंघटित करना ही राष्ट्र का जागरण एवं संघटन है। यही राष्ट्र कार्य है।ध्येय पर अविचल दृष्टि रख कर मार्ग में मखमली बिछौने हों या कांटे बिखरे हों, उनकी चिंता न करते हुए निरंतर आगे ही बढने के दृढ निश्चय वाले कृतिशील तरुण खड़े करने पड़ेंगे।पूर्ण प्रभावी संस्कार किये बिना देशभक्ति का स्थायी स्वरूप निर्माण होना संभव नहीं है तथा इस प्रकार की स्थिति का निर्माण होने तक सामाजिक व्यवहार में प्रमाणिकता भी संभव नहीं।
>>> डॉ केशव बलिराम हेडगेवार : खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह में गए थे जेल <<<
सारवर्ष 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी संघ की स्थापनानमक आंदोलन में किसी भी संघ कार्यकर्ता को हिस्सा लेने से किया था मना1933 में कांग्रेस कमेटी ने कांग्रेसियों को आरएसएस से दूरी बनाने को कहा
>>> इस वजह से हो गए थे स्कूल से बर्खास्त <<<
1908 के आस-पास की बात है। केशव पुणे में स्थित हाई स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन उन्होंने वंदेमातरम गाना गाया और इस वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। क्योंकि उस दौरान वंदेमातरम गाना ब्रिटिश सरकार के सर्कुलर का उल्लंघन माना जाता था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1915 में वो डॉक्टर के रूप में नागपुर लौटे।
>>> लोकमान्य तिलक से प्रभावित होकर कांग्रेस के आंदोलन में लिया हिस्सा <<<
संघ के अनुसार, डॉक्टर बनने के पीछे केशव का उद्देश्य कभी भी शासकीय सेवा में प्रवेश लेना या अपना अस्पताल खोलकर पैसा कमाना नहीं था। उनका तो एकमात्र ध्येय, भारत का स्वातंत्र्य ही था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने लोकमान्य तिलक से प्रेरणा लेकर और प्रभावित होकर वर्ष 1916 में कांग्रेस के जन-आंदोलन से जुड़ गए। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन का पूरा जिम्मा संभाला था।
>>> इस वजह से ब्रिटिश सरकार ने हेडगेवार को दी थी सश्रम कारावास की सजा <<<
तत्पश्चात डॉ हेडगेवार ने अंग्रेजों के खिलाफ उग्र भाषण देना शुरू किया। भाषण के दौरान जब उन्होंने, ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे मैं प्राप्त करके ही रहूंगा’, की घोषणा की तब जनमानस में चेतना की एक प्रबल लहर का निर्माण हुआ। यह सब देखकर ब्रिटिश सरकार ने उनपर भाषणबंदी का नियम लागू कर दिया। किन्तु डॉक्टर ने उसे मानने से इनकार कर दिया और अपना भाषणक्रम चालू रखा। उनके इस बर्ताव पर अंग्रेजी सरकार ने मामला दर्ज कर एक वर्ष के लिए सश्रम कारावास की सजा दे दी।
>>> संघ की स्थापना के बाद ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों से दूरी का लिया फैसला <<<
वर्ष 1925 में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। कुछ लोगों का कहना है कि संघ की स्थापना करने के बाद डॉ हेडगेवार ने ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों से दूरी बना ली थी। यहां तक उन्होंने नमक आंदोलन में किसी भी संघ कार्यकर्ता को हिस्सा लेने से मना कर दिया था। लेकिन वे खुद 1930 में नमक सत्याग्रह से जुड़ गए थे और इस दौरान वे जेल भी गए थे। नतीजतन साल 1933 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पास कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आरएसएस, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के साथ कोई भी संबंध बनाने से मना कर दिया। 21 जून, 1940 को बीमारी के चलते डाॅ हेडगेवार का देहावसान हो गया।
>>> डॉ॰ केशवराव बलिराम हेडगेवार को जंगल सत्याग्रह के कारण कितने समय की जेल हुई थी <<<
1921 में कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी और उन्हें एक वर्ष की जेल हुई , तब तक वह इतने लोकप्रिय हो चुके थे कि उनकी रिहाई पर उनके स्वागत के लिए आयोजित सभा को पंडित मोतीलाल नेहरु और हकीम अजमल खा जैसे दिग्गजों ने संबोधित किया !
>>> डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार की जीवनी एक नज़र में<<<
नाम- डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
जन्म और स्थान – 1 अप्रैल 1889
पिता का नाम- पंडित बलिराम हेडगेवार
माता का नाम- रेवतीवाईविशेष
कार्य- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना
निधन- 21 जून 1940, नागपुर (महाराष्ट्र)