Biography of Khudi Ram Boss.

आज की इस टॉपिक में हम देखेंगे biography of Khudi Ram Boss. हम आपके लिए जी की जीवनी लेकर आए हैं !

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>>> खुदीराम बोस जी का जीवन परिचय<<

अंग्रेजो ने हमारे देश पर लगभग 3 सौ वर्षों तक राज किया उन्होंने हमें आपस में लड़ाया फिर कठोर होकर दबाया परंतु हम कभी दब नहीं सके !

हम उनसे जूझते रहे हमने ईट का जवाब पत्थर से देने की कोशिश की क्रांतिकारी ऐसे ही थे !

क्रांतिकारी भक्तों में खुदीराम बोस का भी नाम आता है खुदीराम बोस बंगाल का बालक था उनका घर मेदनीपुर जिले में थाखुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 ईस्वी को बंगाल में मेदिनीपुर जिले के हबीबपुर गांव में त्रैलोक्य नाथ बोस के यहां हुआ था खुदीराम बोस जब बहुत छोटे थे तभी उनके माता पिता का निधन हो गया था !

उनकी बड़ी बहन ने उनका लालन-पालन किया था !

सन् 1905 में बंगाल का विभाजन होने के बाद खुदीराम बोस देश के मुक्ति आंदोलन में कूद पड़े थे सत्यन बोस के नेतृत्व में खुदीराम बोस ने अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया था बचपन में ही माता और पिता का प्यार छिन गया था बहन ने लालन-पालन किया था वह बचपन से साहसी और निडर था एक बार विद्यालय में आचार्य ने काठ की मेज पर घुसे मारने की परीक्षा लेने की घोषणा की !

किसी छात्र ने एक घूँसा मारा किसी ने दो मारे एक 7 तक पहुंचा खुदीराम 30 की संख्या तक पहुंच गया आचार्य जी के रोकने पर रुका उनके हाथ से खून बह रहा था पर वह मंद – मंद मुस्कुराता रहा वह परीक्षा में प्रथम आ गया !

उस समय लॉर्ड कर्जन भारत का बड़ा लाट था वह एक कुटिल अंग्रेज था उसने सन् 1905 ई. में बंगाल को बांट दिया सारे भारत में असंतोष की लहर फैल गई विरोध का आंदोलन आरंभ हुआ खुदीराम बोस भी इस आंदोलन में शामिल हो गए उस समय वह केवल 16 वर्ष के थे , उन दिनों मेदिनीपुर में एक प्रदर्शनी लगी थी !

अंग्रेज अफसर आए थे बहुत भीड़ थी खुदीराम बंग- भंग आंदोलन की पुस्तके बेचने लगे !

लोगों से वंदेमातरम् बोलने के लिए अनुरोध किया वंदेमातरम बोलना विदेशी सरकार की नजर में अपराध था, पर देशभक्त बोलते थे और कोड़े खाते थे ! इसलिए उसके शिक्षकों ने उसे मना किया वह नहीं माना ! अंग्रेज सिर गए पुलिस ने उसे पकड़ लिया उसे मारा उस पर मुकदमा चलाया पर वह टूट गया वह देश की आजादी के लिए क्रांति के पथ पर बढ़ता गया उस समय कलकत्ते में किंग्स फोर्ड नामक एक दंडाधिकारी था व!

ह देश भक्तों को कठोर दंड देने के लिए कुख्यात था वह क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी के पिता को फांसी की सजा दी थी वंदे मातरम बोलने वाले युवकों को बैटरी सजा दे रहा था अंग्रेज सरकार ने क्रांतिकारियों के भय से किंग्स फोर्ड को मुजफ्फरपुर भेज दिया किशोर खुदीराम बोस ने संकल्प कर लिया कि वह अत्याचारी किंग्स फोर्ड से बदला लेगा वह प्रफुल्ल चाकी के साथ मुजफ्फरपुर आ गया !

किंग्स फोर्ड को पहचाना किंग फोर्ड प्रतिदिन संध्या में हरे रंग की फिटिन पर क्लब जाता था ! 30 अप्रैल 1908 ई. की संध्या में दोनों क्लब के पीछे की सड़क के पास पेड़ों पर छिप गए फिटिन आई बम फूटा धमाका हुआ ! दोनों क्रांतिकारी दो दिशाओं में निकल गए ! समस्तीपुर में प्रफुल्ल को पुलिस ने पकड़ने की चेस्टर चेष्टा कि उसने अपने आप को मार दिया !

खुदीराम पूसा स्टेशन के पास पहुंचे जलपान के लिए होटल में गए वहीं मालूम हुआ कि किंग्स फोर्ड नहीं , एक अंग्रेज वकील की पत्नी और पुत्री की मौत हो गई है यह सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ वह चीख पड़ा संदेह में पुलिस ने पकड़ लिया ! मुजफ्फरपुर में किंग्स फोर्ड ने उसे फांसी की सजा दी वह हाथ में गीता लेकर मुस्कुराता रहा 19 वर्ष की अवस्था में वह वंदेमातरम् की घोषणा के साथ फांसी पर चढ़ गया खुदीराम देश के लिए बलिदान हो गया !

उनके मन में देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल थी कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही राजनीति गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था !

>>>गिरफ्तारी और फांसी<<<

खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया और फिर फांसी की सजा सुनाई गई !

11अगस्त सन् 1908 को उन्हें फांसी दे दिया गया !

उस समय उनकी उम्र मात्र 18 साल और कुछ महीने ही थी ! खुदीराम बोस इतने निडर थे कि हाथ में गीता लेकर खुशी-खुशी फांसी चढ़ गए उनकी निडरता, वीरता और शहादत ने उनको इतना लोकप्रिय बना दिया कि बंगाल के झूलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे !

बंगाल के राष्ट्रवादियों और क्रांतिकारियों के लिए वह और अनुकरणीय हो गए उनकी फांसी के बाद विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया और कई दिन तक स्कूल कॉलेज बंद रहे इन दिनों नौजवानों में एक ऐसी धोती का प्रचलन चला जिसके किनारे पर खुदीराम बोस लिखा था !

>>> खुदीराम बोस का प्रारंभिक जीवन <<<

सन् 1902 में और 1903 के दौरान अरविंदो घोष और भगिनी निवेदिता ने मेदिनीपुर में कई जनसभाएं की और क्रांतिकारी समूह के साथ सभी गोपनीय बैठकें आयोजित की थी खुदीराम भी अपने शहर के युवा वर्ग में शामिल थे जो अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ कर फेंकने के लिए आंदोलन में शामिल होना चाहता था अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ होने वाले जलसे जलूसो मे शामिल होते थे तथा नारे लगाते थे उनके मन में देश प्रेम इतना कूट-कूट कर भरा था कि उन्होंने नौवीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई ही छोड़ दी थी !

भारत देश की आजादी में मर मिटने के लिए जंगे ए- आजादी में कूद पड़े थे खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता सेनानी जो स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी थे !

खुदीराम बोस भगवत गीता के कर्म की धारणा से प्रभावित थे ! भारत माता को ब्रिटिश शासन के के चंगुल से आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे !

1905 में बंगाल के विभाजन ब्रिटिश राजनीतिक से असंतुष्ट खुदीराम बोस क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं के साथ जुगंत पार्टी में शामिल हो गए 16 वर्ष की उम्र में खुदीराम बोस ने पुलिस स्टेशनों के पास बम छोड़े और सरकारी अधिकारियों को अपना निशाना बनाया इन बम धमाकों के आरोप में खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया !

>>>>खुदीराम बोस का क्रांतिकारी जीवन <<<

20वीं सदी के प्रारंभ में स्वाधीनता आंदोलन की प्रगति को देख अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन की चाल चले जिसका घोर विरोध किया गया ! उन्होंने पुलिस स्टेशन नो के पास बम रखा और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया और रिवॉल्यूशनरी पार्टी में शामिल हो गए और वंदेमातरम् के पर्चे भी वितरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी !

सन् 1906 पुलिस ने बोस को दो बार पकड़ा 28 फरवरी सन् 1906 को सोनार बांग्ला नामक एक इश्तहार बांटते हुए पकड़े गए पर पुलिस को चमका देकर भागने में सफल रहे इस मामले मैं उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और उन पर अभियोग चलाया परंतु गवाही ना मिलने से खुदीराम निर्दोष छूट गए दूसरी बार पुलिस ने उन्हें 16 मई को गिरफ्तार किया पर कम आयु होने के कारण उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया !

6 दिसंबर 1906 को खुदीराम बोस ने नारायणगढ़ नामक रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष टीम पर हमला किया परंतु गवर्नर साफ साफ बच निकला !

वर्ष 1908 में उन्होंने वाट्सन और पैम्फायट फूलर नामक दो अंग्रेज अधिकारियों पर बम से हमला किया लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया और वे बच गए ! सेशन जज की गाड़ी पर है कथा बाद अगर यह कांड ना हुआ होता तो शायद खुदीराम बोस पर अंग्रेजी हुकूमत इतनी प्राप्त नहीं हुई होती दरअसल स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल कई लोगों को सेशन जज किंग्स फोर्ड ने कड़ी से कड़ी सजा सुनाई !

खुदीराम बोस भारतीय स्वाधीनता के लिए मात्र 19 साल की उम्र में भारतवर्ष की स्वतंत्रता के लिए फांसी पर चढ़ गए ! कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वह अपने देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलंत तथा युवा क्रांतिकारी देशभक्त थे !

>>> खुदीराम बोस का इतिहास <<<

1889= खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर को हुआ था !

1904= वह तमलुक से मेदनीपुर चले गए और क्रांतिकारी अभियान में हिस्सा लिया !

1905= वह राजनीतिक पार्टी जुगांतर में शामिल हुए !

1905= ब्रिटिश सरकारी अफसरों को मारने के लिए पुलिस स्टेशन के बाहर बम ब्लास्ट किया !

1908= 30 अप्रैल को मुजफ्फरपुर हादसे में शामिल हुए !

1908= हादसे में लोगों को मारने की वजह से 1 मई को उन्हें गिरफ्तार किया गया !

1908= हादसे में उनके साथ ही प्रफुल्ल चौकी ने खुद को गोली मारी और शहीद हुए !

1908= खुदीराम के मुकदमे की शुरुआत 21 मई से की गई !

1908= 23 मई को खुदीराम ने कोर्ट में अपना पहला स्टेटमेंट दिया !

1908= 13 जुलाई को फैसले की तारीख घोषित किया गया !

1908= 8 जुलाई को मुकदमा शुरू किया गया !

1908= 13 जुलाई को अंतिम सुनवाई की गई !

1908= खुदीराम के बचाव में उच्च न्यायालय में अपील की गई !

पूरा नाम ->> खुदीराम बोस

जन्म ->> 3 दिसंबर 1889

जन्म भूमि ->> गांव हबीबपुर मिदनापुर, जिला ->> बंगाल

पिता ->> त्रैलोक्य नाथ बोस

माता->> लक्ष्मी प्रिया देवी

नागरिक – भारतीय

आंदोलन->> भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

मृत्यु ->> 11 अगस्त 1908 ई. (19 वर्ष की उम्र में )

शिक्षा ->> मिदनापुर कॉलेजिएट स्कूल

मृत्यु का कारण ->> मुजफ्फरपुर में एक जज पर बम फेंकने के कारण

सजा->> फांसी

अन्य जानकारी->> खुदीराम बोस की शहदत से समूचे देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी थी उनके साहसिक योगदान को अमर करने के लिए गीत रचने गए और इनका बलिदान लोक गीतों के रूप में मुखरित हुआ उनके सम्मान में भावपूर्ण गीतों की रचना हुई जिन्हें बंगाल के लोक गायक आज भी गाते हैं !

खुदीराम बोस को आज भी सिर्फ बंगाल में नहीं बल्कि पूरे भारत में याद किया जाता है उनके युवा शक्ति की आज नई मिसाल दी जाती है ! शादी स्वतंत्रता के इतिहास में कई कम उम्र के सुर वीरों ने अपनी जान निछावर की जिसमें खुदीराम बोस का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है कि खुदीराम बोस को स्वाधीनता संघर्ष का महानायक भी कहा जाता है निश्चित ही जब जब भारतीय आजादी के संघर्ष की बात की जाएगी तब तक खुदीराम बोस का नाम गर्व से लिया जाएगा !

धन्य है वह धरती जहां इस महापुरुष ने जन्म लिया था !

🙏 भारत माता की जय 🙏

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