biography of Netaji Subhash Chandra Boss in Hindi language

आज की इस टॉपिक में हम देखेंगेbiography of Netaji Subhash Chandra Boss. हम आपके लिए Netaji Subhash Chandra Boss जी की जीवनी लेकर आए हैं !

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जीवनी
Source: ~ Google
सुभाषचंद्र जी का शुरुआती जीवन <<<

सुभाषचंद्र जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा प्रांत के कटक नामक स्थान में एक बंगाली परिवार में हुआ था , उनके 7 भाई और 6 बहनें थी. अपनी माता – पिता की वे 9वीं संतान थे, नेता जी अपने भाई शरदचन्द्र के बहुत करीब थे. उनके पिता जानकीनाथ कटक के महशूर और सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर नाम की उपाधि दी गई थी ,उनकी माता का नाम प्रभावती था !

नेता जी को बचपन से ही पढाई में बहुत रूचि थी, सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक शिक्षा एक यूरोपियन स्कूल में हुई स्कूल में प्रवेश लेते समय उनकी आयु केवल 5 वर्ष थी उस समय भारत वर्ष अंग्रेजों का राज्य था अंग्रेज भारत भारती बालकों का बराबर अपमान करते थे परंतु कोई भी भारतीय छात्र उनका विरोध करने का साहस नहीं कर पाता था !

वे बहुत मेहनती और अपने टीचर के प्रिय थे. लेकिन नेता जी को खेल कूद में कभी रूचि नहीं रही. एक बार की घटना है कि खेल के मैदान में एक अंग्रेज बालक ने कहा है..” ये भारतीय बहुत नीच होते हैं” इस पर दूसरे अंग्रेज बालक ने उत्तर दिया- “मैं इन्हें जहां देखता हूं ठोकर मार देता हूं ” यह सुनकर वहां पर उपस्थित सभी भारतीय बालकों के हृदय में बड़ी पीड़ा हुई परंतु किसी में भी इतना साहस ना था कि वह अंग्रेज बालकों को मुंहतोड़ उत्तर देता !

सुभाष चंद्र बोस ने अपने देशवासियों का यह अपमान ना शाह गया उन्होंने क्रोध में भरकर और अंग्रेज बालको से कहा “मैं भारतीय हूं बोलो, क्या कहते हो ?” अंग्रेज बालक से सुभाष को कुछ उत्तर देते ना बन पड़ा ! तब सुभाष चंद्र बोस ने उन दोनों को ठोकर मार कर जमीन पर गिरा दिया ! ऐसी थी सुभाष चंद्र बोस में आत्मसम्मान की भावना !

नेता जी ने स्कूल की पढाई कटक से ही पूरी की थी. इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे कलकत्ता चले गए, वहां प्रेसीडेंसी कॉलेज अपना नाम लिखवाया परंतु यहां पढ़ाई में उनका मन अधिक ना लगा लेकिन फिर भी उसी प्रेसिडेंट कॉलेज से फिलोसोफी में BA किया. इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतियों को सताए जाने पर नेता जी बहुत विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था. ये पहली बार था जब नेता की के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू हुई थी !

उनकी इच्छा स्वामी विवेकानंद की तरह संन्यास लेकर ज्ञान अर्जन करने की थी अतः 16 वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़ दिया और हिमाचल की तपस्या करने चले गए परंतु वहां उन्हें यह आभास हुआ कि उनका मार्ग संन्यास का नहीं बल्कि अपनी मातृभूमि की सेवा करने का है !

अतः 6 माह बाद वे हिमालय से वापस आ गए और अपना अध्ययन पूरा करने लगे अगस्त 1920 ईस्वी में उन्होंने ब्रिटिश सरकार की सर्वोच्च परीक्षा आईसीएस उत्तरण की इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद वे बहुत बड़े अफसर बन सकते थे परंतु उन्होंने ब्रिटिश सरकार का अफसर बनने के स्थान पर भारत माता की सेवा करना अधिक से कर समझा !

उन्होंने सुखमय विलास के जीवन को ठुकरा कर दे सेवा का कठिन मार्ग अपना अपनाया और ब्रिटेन स्थित भारत सचिव को अपना त्यागपत्र देकर भारत लौट आए भारत आकर सुभाष चंद्र बोस ने देश बंधु चितरंजन दास को अपना गुरु बनाया 33 वर्ष की अवस्था में कोलकाता की जनता ने उन्हें अपना मेयर चुन कर सम्मानित किया !

1938 ईस्वी और 1939 ईस्वी में वे दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए सुभाष चंद्र बोस को महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति पर विश्वास ना था अतः उन्होंने कांग्रेस से अपना त्यागपत्र दे दिया और फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की 1940 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार ने सुभाष बाबू को गिरफ्तार करके उन्हीं के घर में नजरबंद कर दिया !

लेकिन 26 जनवरी 1941 ईस्वी को वे ब्रिटिश सरकार की आंखों में धूल झोंक कर वहां से भाग निकले और अफगानिस्तान होते हुए स्थल मार्ग द्वारा जर्मनी जाकर उन्होंने अंग्रेजों के शत्रु देशों अर्थात जर्मनी और जापान से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए सहायता मांगी इन्हीं दिनों दक्षिणी पूर्वी एशिया में श्री रासबिहारी बोस ने भारत को स्वतंत्र करने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था !

इस फौज में 60 हजार सैनिक थे सुभाष चंद्र बोस ने इस सेना का कुशलता पूर्वक संचालन किया और इसकी सहायता से वर्मा के मार्ग द्वारा भारत स्थित ब्रिटिश राज्य पर आक्रमण कर दिया , इस आक्रमण में सुभाष चंद्र बोस को आशातीत सफलता मिली और वर्मा को स्वतंत्र कराकर में मणिपुर तक पहुंच गए !

परंतु इसी बीच द्वितीय विश्व युद्ध में जापान और जर्मनी की हार हो गई और आजाद हिंद सेना के रसद और अस्त्र-शस्त्र समाप्त हो गए इस कारण आजाद हिंद फौज को पराजित होना पड़ा परंतु नेताजी सुभाष चंद्र बोस का लक्ष्य अंत में पूर्ण हुआ और द्वितीय विश्व युद्ध में विजयी होने के बाद भी अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा 15 अगस्त 1947 ईस्वी को हमारे देश को स्वाधीनता प्राप्त हुई !

नेता जी सिविल सर्विस करना चाहते थे, अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था, तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया. इस परीक्षा में नेता जी चोथे स्थान में आये, जिसमें इंग्लिश में उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले. नेता जी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी द्वारा कही गई बातों का बहुत अनुसरण करते थे. नेता जी के मन में देश के प्रति प्रेम बहुत था वे उसकी आजादी के लिए चिंतित थे, जिसके चलते 1921 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आये. !

सुभाषचंद्र बोस भारत देश के महान स्वतंत्रता – सेनानी थे, उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कठिन प्रयास किये. उड़ीसा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाषचंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे, लेकिन उन्हे अपने देश से बहुत प्यार था और उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी देश के नाम कर दी । इनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में सम्मानित किया जाता है ।

नेता जी का राजनैतिक जीवन <<<

भारत लौटते ही नेता जी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद गए, उन्होंने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया. शुरुवात में नेता जी कलकत्ता में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे, चितरंजन दास के नेतृत्व में काम करते थे. नेता जी चितरंजन दास को अपना राजनीती गुरु मानते थे !

1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरु के साथ कांग्रेस को छोड़ अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना ली थी. जब चितरंजन दास अपनी पार्टी के साथ मिल रणनीति बना रहे थे, नेता जी ने उस बीच कलकत्ता के नोजवान, छात्र-छात्रा व मजदूर लोगों के बीच अपनी खास जगह बना ली थी. वे जल्द से जल्द पराधीन भारत को स्वाधीन भारत के रूप में देखना चाहते थे.

अब लोग सुभाषचंद्र जी को नाम से जानने लगे थे, उनके काम की चर्चा चारों और फ़ैल रही थी. नेता जी एक नौजवान सोच लेकर आये थे, जिससे वो यूथ लीडर के रूप में चर्चित हो रहे थे. 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस् की एक बैठक के दौरान नए व पुराने मेम्बेर्स के बीच बातों को लेकर मतभेद उत्पन्न हुआ. नए युवा नेता किसी भी नियम पर नहीं चलना चाहते थे !

स्वयं के हिसाब से चलना चाहते थे, लेकिन पुराने नेता ब्रिटिश सरकार के बनाये नियम के साथ आगे बढ़ना चाहते थे. सुभाषचंद्र और गाँधी जी के विचार बिल्कुल अलग थे. नेता जी गाँधी जी की अहिंसावादी विचारधारा से सहमत नहीं थे, उनकी सोच नौजवान वाली थी, जो हिंसा में भी विश्वास रखते थे. दोनों की विचारधारा अलग थी लेकिन मकसद एक था दोनों ही भारत देश की आजादी जल्द से जल्द चाहते थे !

1939 में नेता जी राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए खड़े हुए, इनके खिलाफ गांधीजी ने पट्टाभि सिताराम्या को खड़ा किया था, जिसे नेता जी ने हरा दिया था. गांधीजी को ये अपनी हार लगी थी जिससे वे दुखी हुए थे, नेता जी से ये बात जान कर अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया था. विचारों का मेल ना होने की वजह से नेता जी लोगों की नजर में गाँधी विरोधी होते जा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने खुद कांग्रेस छोड़ दी थी !

इंडियन नेशनल आर्मी (INA) <<

1939 में द्वितीय विश्व युध्य चल रहा था, तब नेता जी ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो को उपर से दबाब पड़े और वे देश छोडकर चले जाएँ. इस बात का उन्हें बहुत अच्छा असर देखने को मिला, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया. जेल में लगभग 2 हफ्तों तक उन्होंने ना खाना खाया ना पानी पिया !

उनकी बिगड़ती हालत को देख देश में नौजवान उग्र होने लगे और उनकी रिहाई की मांग करने लगे. तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा था. इस दौरान 1941 में नेता जी अपने भतीजे शिशिर की मदद ने वहां से भाग निकले. सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे. इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले. !

राजनीती में आने से पहले नेता जी दुनिया के बहुत से हिस्सों में घूम चुके थे, देश दुनिया की उन्हें अच्छी समझ थी, उन्हें पता था हिटलर और पूरा जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड था, ब्रिटिशों से बदला लेने के लिए उन्हें ये कूटनीति सही लगी और उन्होंने दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा. इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली थी, जिसके साथ में बर्लिन में रहते थे, उनकी एक बेटी भी हुई अनीता बोस. !

1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे. यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे. नेता जी मोहन सिंह व रास बिहारी बोस के साथ मिल कर ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का पुनर्गठन किया. इसके साथ ही नेता जी ‘आजाद हिन्द सरकार’ पार्टी भी बनाई. 1944 में नेता जी ने अपनी आजाद हिन्द फ़ौज को ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारा दिया. जो देश भर में नई क्रांति लेकर आया.

नेता जी का इंग्लैंड जाना <<

नेता जी इंग्लैंड गए जहाँ वे ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष व राजनीती मुखिया लोगों से मिले जाना उन्होंने भारत की आजादी और उसके भविष्य के बारे में बातचीत की. ब्रिटिशों को उन्होंने बहुत हद तक भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था.

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु <<<

1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी, कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाई, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि आज भी नहीं हुई है. !

मई 1956 में शाह नवाज कमिटी नेता जी की मौत की गुथी सुलझाने जापान गई, लेकिन ताईवान ने कोई खास राजनीती रिश्ता ना होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की. !

2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला, कि ‘नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और उनकी अस्थियाँ जो रेंकोजी मंदिर में रखी हुई है, वो उनकी नहीं है.’ लेकिन इस बात को भारत सरकार ने ख़ारिज कर दिया. बहुत से लोगों का विश्वास था कि नेता जी अभी भी जीवित है और गुप्त वास कर रहे हैं !

परंतु कुछ लोगों का कहना है कि 14 अगस्त 1945 ईस्वी को हांगकांग के पास हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई परंतु हम आपको पहले भी यह बता चुके हैं कि मनुष्य अपनी अवस्था से नहीं अपितु कार्यों से असर डालता है इसलिए सुभाष चंद्र बोस सरीखे नेता अपने महान कार्यो के कारण सदियों तक अमर रहेंगे आज भी इस बात पर जांच व विवाद चल रहा है.

सुभाष चन्द्र बोस जयंती <<<

23 जनवरी को नेताजी सुभास्ज चन्द्र बोस जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष सुभाष चन्द्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस साल 2021 में 23 जनवरी को उनका 123 वें जन्मदिन के रूप में मनाया जायेगा.

नेता सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में रोचक तथ्य
वर्ष 1942 में नेता सुभाष चंद्र बोस जी हिटलर के पास गए और भारत को आजाद करने का प्रस्ताव उसके सामने रखा, परंतु भारत को आजाद करने के लिए हिटलर का कोई दिलचस्पी नहीं था और उसने नेताजी को कोई भी स्पष्ट वचन नहीं दिया था।
सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधी जी से अंग्रेजों को किया हुआ वादा तोड़ने के लिए भी कहा था, परंतु वे अपने उद्देश्य में नाकाम रहे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, परंतु उन्होंने देश की आजादी को देखते हुए अपने इस आरामदायक नौकरी को भी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया , नेताजी को जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य ने काफी ज्यादा विचलित कर दिया और फ़िर भारत की आजादी संग्राम में खुद को जोड़ने से रोक ना सके

वर्ष 1943 में बर्लिन में नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंट्रल से सकुशल स्थापना की !
वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपए के सिक्के से लेकर 1 लाख रुपए के नोट जारी किए थे और एक लाख रुपए की नोट में नेता सुभाष चंद्र जी की तस्वीर भी छापी गई थी !
नेता जी ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था !

सुभाष चंद्र बोस जी को 1921 से लेकर 1941 के बीच में 11 बार देश के अलग-अलग कैदखाना में कैद किया गया था !
नेता सुभाष चंद्र बोस जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में दो बार अध्यक्ष के लिए चुना गया था !
नेता सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु आज तक रहस्यमई बनी है और इस पर से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठ सका है और यहां तक कि भारत सरकार भी इस विषय पर कोई भी चर्चा नहीं करना चाहती है !

वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया ‘जय हिंद’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है !

सुभाष चंद्र बोस के मन में देशप्रेम स्वाभिमान और साहस की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी !

वह अंग्रेज शासन का विरोध करने के लिए अपने भारतीय सहपाठियों का काफी मनोबल बढ़ाते थे ! अपनी छोटी आयु में ही सुभाष ने यह जान लिया था कि जब तक भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे तब तक उनकी गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकेगी !

जहां सुभाष चंद्र बॉस के मन में अंग्रेजों के प्रति तीव्र घृणा थी वही अपने देशवासियों के प्रति उनके मन में बड़ा प्रेम था !

किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता स्वर पर रही है इस महान मूल मंत्र को शैशव और नौयुवाओं की नसों में प्रवाहित करने, तरुणों की सोई आत्मा को जगाकर देशव्यापी आंदोलन देने युवा वर्ग की शौर्य शक्ति उद्भासित कर राष्ट्र के युवकों के लिए आजादी को आत्मप्रतिष्ठा का प्रश्न बना देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वाधीनता महासंग्राम के महायज्ञ मैं प्रमुख पुरोहित की भूमिका निभाई !

नेताजी ने आत्मविश्वास भाव प्रवणता कल्पनाशीलता और नवजागरण के बल पर युवाओं में राष्ट्र के प्रति मुक्ति वह इतिहास की रचना का मंगल शंखनाद किया मनुष्य इस संसार में एक निश्चित निहित उद्देश्य की प्राप्ति किसी संदेश को प्रसारित करने के लिए जन्म लेता है जिनकी जितनी शक्ति आकांक्षा और क्षमता है वह उसी के अनुरूप अपना कर्म क्षेत्र निर्धारित करता है !

 नेताजी के लिए स्वाधीनता ‘जीवन-मरण’ का प्रश्न बन गया था !

बस यही श्रद्धा यही आत्मविश्वास जिसमें ध्वनित हो वही व्यक्ति वास्तविक सृजक है नेता जी ने पूर्ण स्वाधीनता को राष्ट्र के युवाओं को राष्ट्र के युवाओं के सामने एक मिशन के रूप में प्रस्तुत किया नेता जी ने युवाओं से आह्वान किया जो इस मिशन में आस्था रखता है वह सच्चा भारतवासी है पर उनके इसी आह्वान पर ध्वजा उठाए आजादी के दीवानों की आजाद हिंद फौज बन गई !

उन्होंने अपने भाषण में कहा था विचार व्यक्ति को कार्य करने के लिए धरातल प्रदान करता है उन्नति शील शक्तिशाली जाती और पीढ़ी की उत्पत्ति के लिए हमें बेहतर विचार वाले पद का अवलंबन करना होगा क्योंकि जब विचार महान साहस पूर्ण और राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत होगें तभी हमारा संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए !

आज युवा वर्ग में विचारों की कमी नहीं है लेकिन इस विचार जगत में क्रांति के लिए एक ऐसे आदर्श को सामने रखना ही होगा जो विद्युत की भांति हमारी शक्ति आदर्श और कार्य योजना को मूर्त रूप दे सके नेता जी युवाओं में स्वाधीनता का अर्थ केवल राष्ट्रीय बंधन से मुक्ति नहीं बल्कि आर्थिक समानता जाती भी सामाजिक विचारक और निराकरण सांप्रदायिक संकीर्णता त्यागने का विचार मंत्र भी दिया !

नेता जी के विचार विश्वव्यापी थे समग्र मार्ग मानव समाज को उदार बनाने के लिए प्रत्येक जाति को विकसित बनाना चाहते थे !

उनका स्पष्ट मानना था कि जो जाति उन्नति करना नहीं चाहती विश्व रंगमंच पर विशेषता पाना नहीं चाहती उसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं ! नेताजी की आशा के अनुरूप इस चरण होते देश का एवं लौटाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आज दृढ़ संकल्प लेना होगा !

==> नेताजी के बारे में कुछ खास बातें…

राजनीति के अद्भुत खिलाड़ी नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जिनके आदर्शों को जो मान लेगा उसका जीवन सफल हो जाएगा वह जो चाहते थे वह करते थे !

भारत के इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समान कोई व्यक्तित्व दूसरा नहीं हुआ जो एक महान सेनापति वीर सैनिक राजनीति के अद्भुत खिलाड़ी और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नेताओं के समक्ष बैठ कर कूटनीति तथा चर्चा करने वाला हो…!

(1897)- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को जानकीनाथ बोस और श्रीमती प्रभावती देवी के घर में हुआ था..!

(1913) – उन्होंने 1913 में अपनी कॉलेज शिक्षा की शुरुआत की और कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया ..!

(1915) – सन् 1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की…!

( 1916) – ब्रिटिश प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में उन्हें निलंबित कर दिया गया..!

(1917) –  सुभाष चंद्र बोस ने 1917 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में प्रवेश लिया..!

(1919)- फिलॉसफी ऑनर्स में प्रथम स्थान अर्जित करने के साथ-साथ आईसीएएस परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गये..!

(1920 )- सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजी में सबसे अधिक अंक के साथ आई सी एस की परीक्षा ना केवल उत्तीर्ण की बल्कि चौथा स्थान भी प्राप्त किया…!

(1920)- उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय का प्रतिष्ठित डिग्री प्राप्त हुई..!

(1921)-अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया..!

(1922)- 1 अगस्त 1922 को वे जेल से बाहर आए और देशबंधु चितरंजन दास की अगुवाई में गया कांग्रेस अधिवेशन में स्वराज दल में शामिल हो गए !

(1923)- सन् 1923 में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हो जाए इसके साथ ही बंगाल कांग्रेस के सचिव भी चुने गये..! उन्होंने देशबंधु की स्थापित पत्रिका फॉरवर्ड का संपादन शुरू किया..!

(1924)- स्वराज दल को कोलकाता म्युनिसिपल चुनाव में भारी सफलता मिली ! देशबंधु मेयर बने और सुभाष चंद्र बोस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोनीत किया गया सुभाष चंद्र बोस के बढ़ते प्रभाव को कांग्रेस सरकार बरदाश्त नहीं कर सकी और अक्टूबर में ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया..!

(1925)- देशबंधु चितरंजन दास का निधन हो गया !

(1927)- नेताजी, जवाहरलाल नेहरू के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के साधारण सचिव चुने गए..!

(1928)- स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने भारतीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के दौरान शैक्षिक संगठन गठित किया है नेताजी संगठन के जनरल ऑफिसर- इन- कमांडो चुने गए ।

 (1930)- उन्हें जेल भेज दिया गया जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने कोलकाता के मेयर का चुनाव जीता ।

(1931)- 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दे दी गई, जो कि नेताजी महात्मा गांधी में मतभेद का कारण बनी..!

(1932)- 1936 नेताजी ने भारत की आजादी के लिए विदेशी नेताओं से दबाव डलवाने के लिए इटली में मुसोलिनी जर्मनी में फेल्डर आयरलैन्ड में वारेला और फ्रांस रोमा रोनांड से मुलाकात की…!

(1936)- 13 अप्रैल 1936 को भारत आने पर उन्हें मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया ।

(1936-37 ) रिहा होने के बाद उन्होंने यूरोप में ‘इंडियन स्ट्रगल’ प्रकाशित करना शुरू किया ।

 (1938)- हरिपुर अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए । इस बीच शांति निकेतन में रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें सम्मानित किया ।

(1939)- महात्मा गांधी के उम्मीदवार सीतारामय्या को हराकर एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बने ! बाद में उन्होंने ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना की

(1940)- उन्हें नजरबंद कर दिया गया इस बीच उपवास के कारण उनकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा !

(1941)- एक नाटकीय घटनाक्रम में वे 7 जनवरी 1941 को गायब हो गए और अफगानिस्तान और रूस होते हुए जर्मनी पहुंचे !

(1941)- 9 अप्रैल 1941 को उन्होंने जर्मन सरकार को एक मेमोरेंडम सौंपा जिसमें एक्सीव पावर और भारत के बीच परस्पर सहयोग को संदर्भित किया गया था ! सुभाष चंद्र बोस ने इसी साल नवंबर में स्वतंत्र भारत केंद्र और स्वतंत्र भारत रेडियो की स्थापना की ।

(1943)-नौसेना की मदद से जापान पहुंचे और वहां पहुंच कर उन्होंने टोक्यो रेडिओ से भारत वासियों को संबोधित किया ! 21 अक्टूबर 1946 को उन्होंने आजाद हिंद सरकार की स्थापना की और इसकी स्थापना अंडमान और निकोबार में की गई जहां इसका सहित और स्वराज नाम रखा गया ।

(1944)- आजाद हिंद फौज का अराकान पहुंची और इंफाल के पास जंग छिड़ी फौज ने कोहिमा (इंफाल) को अपने कब्जे में ले लिया ।

(1945)-  दूसरे विश्व युद्ध में जापान ने परमाणु हमले के बाद हथियार डाल दिए इसके कुछ दिनों बाद 18 अगस्त 1945 को नेताजी की हवाई दुर्घटना में मारे जाने की खबर आई और स्वतंत्र भारत की अमरता का जयघोष करने वाले नेता जी राष्ट्रप्रेम की दिव्य ज्योति जला कर अमर हो गए ।

==>ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ताइवान के ताईकोहूं में विमान दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुए बाद में एक सैन्य अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई ।

1– पूरा नाम >>> नेता जी सुभाषचंद्र बोस
2– उप-नाम >>> नेता जी
3– जन्म >>> 23 जनवरी 1897
4–जन्म स्थान <<< स्थान कटक , उड़ीसा

5– माता <<< प्रभावती,

6– पिता >>> जानकीनाथ बोस
7– पत्नी >>> एमिली (1937)
8– बेटी >>> अनीता बोस
9– गुरू >>>चितरंजन दास
10– मृत्यु>>>18 अगस्त, 1945 जापान

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                                          thank-you

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