आज की इस टॉपिक में हम देखेंगे biography of Mahatma Gandhi in Hindi language हम आपके लिए Mahatma Gandhi जी की जीवनी लेकर आए हैं !
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महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी जी को “राष्ट्रपिता बापू जी महात्मा गांँधी” भी कहा जाता है पूरे भारतवर्ष में महात्मा गांधी जी को “सुपर-फाइटर” के नाम से भी जाना जाता है जिन्होंने कई आंदोलन किए और जीते भी और इन्हें कौन नहीं जानता पूरे भारतवर्ष में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हें नहीं जानता होगा !
आज के इस लेख में हम बात केवल महात्मा गांधी जी की जीवनी की ही नहीं उनसे जुड़ी घटनाओं की भी बात करेंगे !
महात्मा गांधी जी भारत के एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे संपूर्ण भारत बापू जी के नाम से बुलाता था और “बापूजी” ने हमेशा एक सदाचार जीवन व्यतीत किया था !
महात्मा गांधी की एक साधारण परिवार में जन्मे थे और उन्होंने अपना जीवन अपनी जनता के लिए बिताया !
साधारण जीवन जीना बेहद मुश्किल होता है और ऐसे साधारण जीवन में बड़े-बड़े काम कर देना भी आसान काम नहीं होती है… लेकिन गांधी जी ने ये कर दिखाया… 2 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है !क्योंकि महात्मा गांधी जी द्वारा अहिंसा आंदोलन, आंदोलन चलाया गया था इसलिए विश्व स्तर पर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है !
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हिंदू परिवार में हुआ था !
पिता करमचंद गांधी और मां पुतलीबाई द्वारा उनका नाम मोहनदास रखा गया है जिससे उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी हुआ महात्मा गांधी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी अतः उनका पालन वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ था और उन जैन धर्म का भी गहरा प्रभाव रहा ! यही कारण था कि इसका मुख्य सिद्धांत जैसे- अहिंसा आत्म शुद्धि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा !
मोहनदास शिक्षा के दृष्टिकोण से एक दर्जे के विद्यार्थी रहे लेकिन समय- समय पर उन्हें पुस्तक और छात्रवृत्तियाँ भी मिली ! गांधीजी अंग्रेजी विषय में काफी होनहार थे , लेकिन भूगोल जैसे विषयों में उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहता था ! वही अंक गणित में मध्यम दर्जे के मामले में भी उन्हें अच्छी टिप्पणियाँ नहीं मिली !
हलाकि गांधी जी अपने माता पिता की सेवा घर के कार्यों में मां का हाथ बटाना आज्ञा का पालन करना सैर के लिए जाना है यह सब करते थे लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन के विद्रोही समय गुप्त नास्तिक वाद को भी अपनाया धूम्रपान और मांसाहार का सेवन भी किया लेकिन उसके बाद उन्होंने इन सभी चीजों को जीवन में कभी न दोहराने का दृढ़ निश्चय कर लिया फिर कभी नहीं दोहराया गांधी जी ने प्रहलाद और राजा हरिश्चंद्र को आदर्श के रूप में ग्रहण किया !
महात्मा गांधी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया था, जब वह स्कूल में पढ़ते थे अभी पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से उनका विवाह हुआ ! और मात्र 15 वर्ष की अवस्था में गांधीजी 1 पुत्र के पिता बन गए लेकिन वह पुत्र जीवित न रह सका इस तरह गांधीजी के कुल 4 हरिलाल मणिलाल रामदास और देवदास उनके पुत्र हुए !
विवाह के पश्चात और स्कूल का जीवन समाप्त होने पर मुंबई के एक कॉलेज में कुछ दिन पढ़ने के बाद वे लंदन चले गए और उनकी आगे की क्षिक्षा – दीक्षा लंदन में पूरी हुई !
3 वर्ष की शिक्षा के बाद वे बैरिस्टर बने , इसके बाद उनके जीवन की असल यात्रा शुरू हुई जो इंसान दोलन से लेकर उनके राष्ट्रपति बनने तक और उनके जीवन पर्यंत चलती रही !
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सन 1914 में गांधी जी भारत लौट आए देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किए और उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया उन्होंने 4 वर्ष भारतीय स्थिति का अध्ययन करने तथा लोगों को तैयार करने में बिताए !
जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सके फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए राॅलेट एक्ट कानून पर जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया फिर गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी इसके परिणाम स्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया जिससे 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया !
इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए जाने वाले अन्य अभियानों में सत्याग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखें, जैसे कि “असहयोग आंदोलन” “नागरिक अवज्ञा आंदोलन” दांडी यात्रा तथा भारत छोड़ो आंदोलन गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिल गई !
ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिरला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई !
महात्मा गांधी के पूर्व भी शांति और अहिंसा के बारे में लोग जानते थे परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह शांति व अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी बनाए जाने की घोषणा की है ! उनकी यह यात्रा हिंद आंदोलन से लेकर उनके राष्ट्रपति बनने तक और उनके जीवन पर्यंत चलती रही !
श्लोक—“वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे
पर दुखे उपकार करे तोय, मन अभिमान ना आने रे” !
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सबसे पहले सफलता दक्षिण अफ्रीका से मिले दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीय लोगों पर गोरे शासकों द्वारा अपमानजनक प्रतिबंध लगाए गए थे जिन के विरोध में गांधी जी ने अहिंसात्मक प्रयोग किया था जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की !
इस सफलता ने उनके मनोबल को ऊंचा किया तत्पश्चात वे 1917 में चंपारण पहुंचे वहां नील की खेती करने वाले किसानों पर गोरे बागान मालिकों द्वारा बहुत अत्याचार किया जा रहा था जब गांधी जी ने चंपारण में कदम रखा तब वहां के कमिश्नर ने उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया वे जानते थे कि उन्हें गांधीजी के समक्ष झुकना पड़ेगा गांधीजी ने वहां से जाने से इंकार कर दिया था !
आदेश की अवहेलना करते हुए सजा भुगतने के लिए तैयार हो गए मजबूरन उन्हें आदेश वापस लेना पड़ा फरवरी 1918 में उन्होंने अहमदाबाद के कपड़ा मिल मजदूरों का समर्थन लिया तथा उनके लिए काम करने की बेहतर स्थिति की मांग की उनके क्षेत्र के कारण मिल मालिक मजदूरी का 35 % बोनस देने के लिए तैयार हो गया !
मार्च 1918 में गांधी जी ने गुजरात के खेलना जिले में फसल नष्ट हो जाने पर राज्य से किसानों का लगान माफ करने की मांग की और इसमें उन्हें सफलता हासिल हुई !
देश को आजाद करने की इच्छा नहीं है तथा शासन का परिचय देते हुए गांधीजी के असहयोग आंदोलन के न्यू जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध पर में 24 ईसवी को रखें 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम प्रारंभ किया गया यह असहयोग आंदोलन जन आंदोलन बन गया था जिसके तहत 1921 ईस्वी में 396हड़ताललें हुई जिनमें 6 लाख श्रमिक ने भाग लिया था जिनके कारण 70 लाख कार्य दिवस की हानि हुई थी, किंतु यह आंदोलन ज्यादा समय तक टिक नहीं सका !
। दिसंबर 1921 तक हजारों सत्याग्रहियों को बंदी बना लिया गया । तत्पश्चात 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चोरा चोरी नामक स्थान पर हिंसात्मक घटना घटित हुई ! पुलिस द्वारा 3 हजारों किसानों के जुलूस पर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिससे आहत होने के कारण उग्र रूप धारण कर आंदोलनकारियों ने एकाएक एक थानेदार था 21 सिपाहियों को बलपूर्वक थाने में बंद कर आग लगा दी ।
गांधी जी को इस घटना से बड़ा दुख हुआ तथा उन्होंने तत्काल असहयोग आंदोलन वापस लिया 10 मार्च 1922 ईस्वी को महात्मा गांधी को बंदी बना सरकार के विरुद्ध संतोष भड़काने के रूप में 6 वर्ष की करवास हुई ।भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए गांधी जी ने 26 अप्रैल और पुन: 24 मई 1942 ई. को अंग्रेजों को भारत छोड़ देने का अनुरोध प्रकट किया ! अंग्रेजों द्वारा इस पर ध्यान न दिए जाने पर 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस कमेटी की सहमति से “भारत छोड़ो आंदोलन” का सूत्रपात हुआ !
8 अगस्त की रात्रि में कांग्रेस प्रतिनिधियों को गांधी जी ने “करो” या “मरो” का मंत्र दिया ।
9 अगस्त को प्रातः काल गांधीजी तथा अन्य कांग्रेस मुख्य नेताओं को बंदी बना लिया गया और इसके साथ ही भारत छोड़ो आंदोलन ज्वाला उग्र रूप धारण कर भड़की आंदोलन एक जन आंदोलन था जो सारे आंदोलन में सर्वाधिक महान था… 6 मई 1944 ई. को गांधीजी को कारागार से मुक्त किया गया !
जुलाई 1944 ई . को सारे बंधुओं को मुक्त कर दिया गया इसके परिणाम स्वरूप धीमी गति से भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त हो गया और गांधीजी के इस महान संघर्ष के कारण 15 अगस्त 1947 को हम स्वतंत्र हुए किंतु सबसे दुखद बात यह रही कि भारत आजाद तो हुआ किंतु यह हिंदुस्तान और पाकिस्तान में विभाजित हो गया जो अपने आप में एक बहुत बड़ी सफलता है !
आजादी के पश्चात 31 जनवरी 1948 नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर गांधी जी की हत्या कर दी गई मृत्यु के पश्चात गांधीजी आनंद के लिए अमर हो गए रघुपति राघव राजा राम के सानिध्य में जीते ही गांधीजी पतित पावन महात्मा हो गए ।वह एक किताब जिसने बदलती महात्मा गांधी की जिंदगी गांधीजी 29 नवंबर 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी 1929 को ये किताब पूरी हुई थी गांधी अध्ययन को समझने में “सत्य के प्रयोग” को एक प्रमुख दस्तावेज का दर्जा हासिल है !
जिसे स्वयं गांधीजी ने कलमबध्द किया था पर यह कितनों को पता है कि 5 भागों में बटी इस किताब के चौथे भाग के 18वें अध्याय में खुद गांधीजी ने उस किताब का जिक्र किया है जिसने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया ! “सत्य के प्रयोग” महात्मा गांधी द्वारा लिखी वह पुस्तक है जिससे उनकी आत्मकथा का दर्जा हासिल है बापू ने यह पुस्तक मूल रूप से गुजराती में लिखी थी। हिंदी में इसका अनुवाद कई लोगों ने किए है ।
यह किताब दुनिया की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है । मोहनदास करमचंद गांधी ने “सत्य के प्रयोग” अथवा “आत्मकथा” का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य अहिंसा और ईश्वरक का मर्म समझने – समझाने के लिए विचार में लिखा गया था ।मैं सूर्योदय के सिद्धांतों को इस प्रकार समझा हूं सबकी भलाई में हमारी भलाई नहीं थे वकील और ना ही दोनों के काम की कीमत एक से होनी चाहिए क्योंकि आजीविका का अधिकार सबको एक समान है सदा मेहनत मजदूरी का किसान का जीवन ही सच्चा जीवन है पहली चीज मैं जानता था दूसरी को धुंधले रूप में देखता था तीसरी का मैंने कभी विचार ही नहीं किया था सूर्योदय ने मुझे दीए कि तरह दिखा दिया की पहली चीज में दूसरी चीजें समाई हुई है । सवेरा हुआ और मैं इन सिद्धांतों को अमल करने के प्रयत्न में लग गया ।
जिस तरह वेस्ट से मेरी जान पहचान निरामिषहरि भोजनगृह में हुई , उसी तरह पोलाक के विषय में हुआ । एक दिन जिस जिसमें पर मैं बैठा था उससे दूसरी मेज पर एक नौजवान भोजन कर रहे थे उन्होंने मिलने की इच्छा से मुझे अपने नाम का कार्ड भेजा मैंने उन्हें मेज पर आने के लिए निमंत्रण ने किया और वे आए ।
जन्मतिथि>>> 02 अक्टूबर 1869 पोरबंदर गुजरात{गुजरात} समुद्रीय तट
मृत्यु>>> 23 जनवरी 1948 रात के समय बिड़ला भवन (नई दिल्ली) में हत्या की गई थी (नाथूराम गोडसे )द्वारा ।
राष्ट्रीयता>>> भारतीय (भारत में जन्म हुआ था)
प्रसिद्ध नाम>> महात्मा गांधी जी, बापू जी, गांधी जी !
गांधीजी की जाती>> गुजराती
शिक्षा प्राप्त>> अल्फ्रेड हाई स्कूल
राजकोट इनर यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन
पिता का नाम >>> करमचन्द गाँन्धि, कटर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे।
माता का नाम >>> पुतलीबाई
पत्नी का नाम >>> कस्तूरबा
मृत्यु>>> 30 जनवरी 1948 ई. में हुई थी ।
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