Biograhy of Pandit Jawahar Lal Nehru

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय <<<

सन् 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस का अधिवेशन हुआ । इसकी अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू के सुपुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। बालक जवाहर का जन्म इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ था । अंग्रेजी वातावरण में रहकर उनको अंग्रेजी रहन-सहन व अंग्रेजी शिक्षा का अभ्यास कराया गया था । परंतु विदेश में पढ़ाई के समय भारतीय साहित्य एवं इतिहास का अध्ययन करने से उनके मन में अपने देश के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ । भारत आने पर भी गांधीजी के संपर्क में आए और उनसे बहुत प्रभावित हुए । वे स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित हो गए । कांग्रेस के इस अधिवेशन में युवक जवाहर ने अध्यक्ष पद से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी । जिसको पूर्ण समर्थन मिला । यह तिथि 26 जनवरी सन् 1929 थी ।

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिन को ही बाल दिवस और चिल्ड्रेन्स डे (childrens day) कहा जाता है, क्योकि नेहरु जी को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे. अगर हम नेहरु जी के जीवन को विस्तार से पढ़े, तो हमें उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए मिलती है. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के अंदर देश प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी, महात्मा गाँधी उन्हें एक शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे. नेहरु जी को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचियता माना जाता है.

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिन को ही बाल दिवस और चिल्ड्रेन्स डे (childrens day) कहा जाता है, क्योकि नेहरु जी को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे. अगर हम नेहरु जी के जीवन को विस्तार से पढ़े, तो हमें उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए मिलती है. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के अंदर देश प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी, महात्मा गाँधी उन्हें एक शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे. नेहरु जी को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचियता माना जाता है.

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. इनके पिता प्रसिद्ध बैरिस्टर व् समाजसेवी थे . नेहरु जी सम्पन्न परिवार के इकलौते बेटे थे . इनके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहिने थी. नेहरु जी कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे. नेहरु जी ने देश विदेश के नामी विध्यालयों एवम महाविध्यालयो से शिक्षा प्राप्त की. इन्होने हैरो से स्कूल की प्रारम्भिक शिक्षा एवम ट्रिनिटी कॉलेज लन्दन से लॉ की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए . 7 वर्ष इंग्लैण्ड में रहकर इन्होने फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की.

इन्हें ‘गुलाब का फूल’ बहुत पसंद था, जिसे वो अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे. इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था ,बच्चे इन्हें ‘चाचा नेहरु’ कहकर सम्बोधित करते थे . इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में 14 नवम्बर को मनाया जाता है. नेहरु जी ‘डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया’ के रचियता के रूप में भी विख्यात रहे .

नेहरु जी की एक बेटी थी इंदिरा गाँधी. इंदिरा गाँधी अपने पिता को अपना गुरु मानती थी, देश की राजनीती को उन्होंने नेहरु जी से ही सिखा था. बचपन से ही देश की आजादी की लड़ाई को उन्होंने करीब से देखा था. यही वजह थी कि वे भी देश के प्रति अत्याधिक प्रेम रखती थी. इंदिरा जी आजाद देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी. भारत देश को आगे बढ़ाने व मजबूती देने में इंदिरा जी का मुख्य योगदान था.

जवाहर लाल नेहरू जी को प्यार से लोग क्या बुलाते थे? <<<

नेहरू जी को लोग प्यार से चाचा नेहरू या चाचा जी कह कर भी बुलाते थे!

जवाहरलाल नेहरू से हमें क्या शिक्षा मिलती है? <<<

बेहट (सहारनपुर) : सभी विद्यार्थी पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के जीवन आदर्शों से प्रेरणा लेकर देश के विकास एवं सुरक्षा के प्रति सचेत रहें। छोटे बच्चे देश का भविष्य हैं तथा आगे चलकर बच्चों के कंधे पर देश का पूर्ण दायित्व निहित है।

नेहरू जी में कौन कौन से गुण थे?<<<

नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे। शि‍क्षा : जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी।

<<< शि‍क्षा >>>

जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी। उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरूजी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।
पंडित नेहरू शुरू से ही गांधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में ‘आत्मकथा’ लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

योगदान <<<

उन्होंने 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) को सुशोभित किया। 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए। नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में ‘भारतरत्न’ से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।’ -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की ‘मेरी कहानी’ से।

धर्म के बारे में नेहरू जी के क्या विचार <<<

पंडित जवाहर लाल नेहरू ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र चाहते थे जो ‘सभी धर्मों की हिफाजत करे अन्य धर्मों की कीमत पर किसी एक धर्म की तरफदारी न करे और खुद किसी धर्म को राज्यधर्म के तौर पर स्वीकार न करे। नेहरु भारतीय धर्मनिरपेक्षता के दार्शनिक थे। नेहरु स्वयं किसी धर्म का अनुसरण नहीं करते थे।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित आत्मकथा <<<

भारत की खोज पुस्‍तक को क्‍लासिक का दर्जा हासिल है। नेहरू जी ने इसे स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौर में 1944 में अहमदनगर के किले में अपने 5 महीने के कारावास के दिनों में लिखा था। यह 1946 में पुस्‍तक के रूप में प्रकाशित हुई।

उपसंहार <<<

पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का नारा <<<

आराम हराम है का नारा जवाहरलाल नेहरू ने दिया था. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था. करो या मरो का नारा महात्मा गांधी ने दिया था !

जवाहर भारत कब आये थे <<<

जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग‎ में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए।

जवाहरलाल नेहरु का राजनैतिक सफ़र एवं उपलब्धियां <<<

1912 में नेहरूजी ने भारत लौटकर इलाहबाद हाईकोर्ट में बेरिस्टर के रूप में कायर्रत हुए. 1916 में नेहरु जी ने कमला नामक युवती से विवाह किया. 1917 में वे होम-रुल-लीग से जुड़ गए. 1919 में नेहरु जी गाँधी के संपर्क में आये जहाँ उनके विचारो ने, नेहरु जी को बहुत प्रभावित किया और राजनीतिज्ञ ज्ञान इन्हें गाँधी जी के नेतृत्व में ही प्राप्त हुआ, यही वह समय था जब नेहरु जी ने पहली बार भारत की राजनीती में कदम रखा था, और उसे इतने करीब से देखा था. 1919 में गाँधी जी ने रोलेट-अधिनियम के खिलाफ़ मोर्चा सम्भाल रखा था. नेहरु जी, गाँधी जी के सविनय-अविज्ञा आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे. नेहरु जी के साथ उनके परिवार ने भी गाँधी जी का अनुसरण किया, मोतीलाल नेहरु ने अपनी सम्पति का त्याग कर खादी परिवेश धारण किया. 1920-1922 में गाँधी जी द्वारा किये गये ‘असहयोग-आन्दोलन’ में नेहरु जी ने सक्रीय रूप से हिस्सा लिया. इस वक्त नेहरु जी पहली बार जेल गये. 1924 में इलाहबाद नगर-निगम के अध्यक्ष के रूप में दो वर्षो तक शहर की सेवा की. 1926 में इन्होने इस्तीफा दे दिया. 1926-28 तक नेहरु जी “अखिल-भारतीय-कांग्रेस” के महा-सचिव बने. गाँधी जी को नेहरु जी में भारत देश का एक महान नेता नजर आ रहा था.

1928-1929 में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में काँग्रेस के वार्षिक-सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में दो गुट बने, पहले गुट में नेहरूजी एवम सुभाषचन्द्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दुसरे गुट में मोतीलाल नेहरु और अन्य नेताओं ने सरकार के आधीन ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग की . इस दो प्रस्ताव की लड़ाई में गाँधी जी ने बीच का रास्ता निकाला. इन्होने कहा कि ब्रिटेन को दो वर्षो का समय दिया जायेगा, ताकि वे भारत को राज्य का दर्जा दे अन्यथा कांग्रेस एक राष्ट्रीय लड़ाई को जन्म देगी . परन्तु सरकार ने कोई उचित जवाब नहीं दिया .नेहरु जी की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में काँग्रेस का वार्षिक अधिवेशन ‘लाहौर’ में किया गया, इसमें सभी ने एक मत होकर ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग का प्रस्ताव पारित किया . 26 जनवरी 1930 में लाहौर में नेहरु जी ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया . 1930 में गाँधी जी ने ‘सविय अवज्ञा आन्दोलन’ का जोरो से आव्हाहन किया, जो इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिया झुकना ही पड़ा .

1935 में जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया, तब काँग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. नेहरु ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया . काँग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाई और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की. 1936-1937 में नेहरु जी की काँग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया . 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोडो आन्दोलन के बीच नेहरु जी को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आये. 1947 में भारत एवम पकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई .

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिन को ही बाल दिवस और चिल्ड्रेन्स डे (childrens day) कहा जाता है, क्योकि नेहरु जी को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे. अगर हम नेहरु जी के जीवन को विस्तार से पढ़े, तो हमें उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए मिलती है. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के अंदर देश प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी, महात्मा गाँधी उन्हें एक शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे. नेहरु जी को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचियता माना जाता है.

इन्हें ‘गुलाब का फूल’ बहुत पसंद था, जिसे वो अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे. इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था ,बच्चे इन्हें ‘चाचा नेहरु’ कहकर सम्बोधित करते थे . इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में 14 नवम्बर को मनाया जाता है. नेहरु जी ‘डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया’ के रचियता के रूप में भी विख्यात रहे .

नेहरु जी की एक बेटी थी इंदिरा गाँधी. इंदिरा गाँधी अपने पिता को अपना गुरु मानती थी, देश की राजनीती को उन्होंने नेहरु जी से ही सिखा था. बचपन से ही देश की आजादी की लड़ाई को उन्होंने करीब से देखा था. यही वजह थी कि वे भी देश के प्रति अत्याधिक प्रेम रखती थी. इंदिरा जी आजाद देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी. भारत देश को आगे बढ़ाने व मजबूती देने में इंदिरा जी का मुख्य योगदान था.

जवाहरलाल नेहरु का राजनैतिक सफ़र एवं उपलब्धियां <<<
1912 में नेहरूजी ने भारत लौटकर इलाहबाद हाईकोर्ट में बेरिस्टर के रूप में कायर्रत हुए. 1916 में नेहरु जी ने कमला नामक युवती से विवाह किया. 1917 में वे होम-रुल-लीग से जुड़ गए. 1919 में नेहरु जी गाँधी के संपर्क में आये जहाँ उनके विचारो ने, नेहरु जी को बहुत प्रभावित किया और राजनीतिज्ञ ज्ञान इन्हें गाँधी जी के नेतृत्व में ही प्राप्त हुआ, यही वह समय था जब नेहरु जी ने पहली बार भारत की राजनीती में कदम रखा था, और उसे इतने करीब से देखा था. 1919 में गाँधी जी ने रोलेट-अधिनियम के खिलाफ़ मोर्चा सम्भाल रखा था. नेहरु जी, गाँधी जी के सविनय-अविज्ञा आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे. नेहरु जी के साथ उनके परिवार ने भी गाँधी जी का अनुसरण किया, मोतीलाल नेहरु ने अपनी सम्पति का त्याग कर खादी परिवेश धारण किया. 1920-1922 में गाँधी जी द्वारा किये गये ‘असहयोग-आन्दोलन’ में नेहरु जी ने सक्रीय रूप से हिस्सा लिया. इस वक्त नेहरु जी पहली बार जेल गये. 1924 में इलाहबाद नगर-निगम के अध्यक्ष के रूप में दो वर्षो तक शहर की सेवा की. 1926 में इन्होने इस्तीफा दे दिया. 1926-28 तक नेहरु जी “अखिल-भारतीय-कांग्रेस” के महा-सचिव बने. गाँधी जी को नेहरु जी में भारत देश का एक महान नेता नजर आ रहा था.

1928-1929 में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में काँग्रेस के वार्षिक-सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में दो गुट बने, पहले गुट में नेहरूजी एवम सुभाषचन्द्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दुसरे गुट में मोतीलाल नेहरु और अन्य नेताओं ने सरकार के आधीन ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग की . इस दो प्रस्ताव की लड़ाई में गाँधी जी ने बीच का रास्ता निकाला. इन्होने कहा कि ब्रिटेन को दो वर्षो का समय दिया जायेगा, ताकि वे भारत को राज्य का दर्जा दे अन्यथा कांग्रेस एक राष्ट्रीय लड़ाई को जन्म देगी . परन्तु सरकार ने कोई उचित जवाब नहीं दिया .नेहरु जी की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में काँग्रेस का वार्षिक अधिवेशन ‘लाहौर’ में किया गया, इसमें सभी ने एक मत होकर ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग का प्रस्ताव पारित किया . 26 जनवरी 1930 में लाहौर में नेहरु जी ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया . 1930 में गाँधी जी ने ‘सविय अवज्ञा आन्दोलन’ का जोरो से आव्हाहन किया, जो इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिया झुकना ही पड़ा ।

1935 में जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया, तब काँग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. नेहरु ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया . काँग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाई और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की. 1936-1937 में नेहरु जी की काँग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया . 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोडो आन्दोलन के बीच नेहरु जी को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आये. 1947 में भारत एवम पकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री का चुनाव <<<

1947 में भारत आजादी के वक्त काँग्रेस में प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए चुनाव किये गये, जिसमे सरदार बल्लभ भाई पटेल एवम आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए. पर गाँधी जी के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री मंत्री नियुक्त किया गया. इसके बाद नेहरु जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने ।

स्वतन्त्रता के बाद भारत को सही तरह से गठित कर उसका नेतृत्व कर एक मजबूत राष्ट्र की नीव के निर्माण का कार्य नेहरु जी ने शिद्दत के साथ निभाया. भारत को आर्थिक रूप से निर्भीक बनाने के लिए भी इन्होने बहुत अहम योगदान दिया. आधुनिक-भारत के स्वप्न की मजबूत नीव का निर्माण किया . इन्होने शांति एवम संगठन के लिए ‘गुट-निरपेक्ष’ आन्दोलन की रचना की. इनकी बहुत मेहनत के बावजूद यह पकिस्तान और चीन से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध नहीं बना पाए ।

जवाहरलाल नेहरू पर 15 लाइनें <<<

1- जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधनमंत्री थे।
इनका जन्म इलाहाबाद में 14 नवम्बर 1889 को हुआ था।
इनके पिता जी का नाम मोतीलाल नेहरू और माता जी का नाम स्वरूप रानी था।
2 – जवाहरलाल नेहरू जी को तीन भाई बहन थे और वह सभी भाई बहनों में सबसे बड़े थे।
3- इनके पिताजी मोती लाल नेहरू प्रसिद्ध वकील थे।
4- इनका विवाह 1916 में कमला नेहरू से हुआ था।
5 – इनकी बेटी का नाम इंदिरा गांधी था जो कि भारत की प्रधानमंत्री भी रह चुकी है।
6-उन्होंने 1910 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढाई की और 1912 में इनर टेंपल जो का लंदन का कॉलेज है यहां से बैरिस्टर की उपाधि हासिल की थी।
7- इनको सभी बच्चे चाचा नेहरू के नाम से जानते हैं।
8- इनके जन्मदिन को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
9- इनको 1955 में भारत रत्न पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
10- लाल किले पर सबसे पहले तिरंगा जवाहरलाल नेहरू ने ही फहराया था।
11- इन्होने भारत की आजादी के लिए कई आन्दोलन में हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गये।
12- जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत के शिल्पकार भी कहा जाता है।
13- इन्होंने डिस्कवरी ऑफ इंडिया नाम की एक पुस्तक भी लिखी थी।
14- जवाहरलाल नेहरू जी की निधन दिल का दौरा से नई दिल्ली में 27 मई 1964 को हुआ था।
15-नेहरू जी की पुत्री जिनका नाम श्रीमती इंदिरा गाँधी जी था आगे चलकर भारत की प्रधानमंत्री बनी।

जवाहरलाल नेहरु को मिला सम्मान <<<

1955 में नेहरु जी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया।

16 साल की उम्र तक जवाहर लाल नेहरू की अधिकांश शिक्षा उनके घर पर ही हुई| इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत भाषा की शिक्षा मिली। लेकिन अंग्रेजी की पढ़ाई पर विशेष जोर रहा.

जवाहरलाल नेहरू जी की पढ़ाई विदेश में हुई थी, उन्होंने 1910 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढाई की और 1912 में इनर टेंपल जो की लंदन का कॉलेज है यहां से बैरिस्टर की उपाधि हासिल की थी।

जवाहरलाल नेहरू जी को पंडित नेहरू और चाचा नेहरू भी कहा जाता है, साथ ही में उन्हें आधुनिक भारत के शिल्पकार भी कहा जाता है।

जवाहरलाल नेहरु जी को सभी बच्चे चाचा नेहरू कहा करते थे, इस वजह से जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिन 14 नवंबर को हर वर्ष बाल दिवस मनाया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू जी की लिखी हुई किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया सबसे ज्यादा लोकप्रिय किताब थी, यह किताब उन्होंने 1944 अहमदनगर के जेल में रहते हुए लिखी थी।
पंडित जवाहर लाल नेहरू कश्मीर के एक प्रवासी पंडित परिवार से थे। पेशे से वकील पं० मोतीलाल नेहरू और उनकी पत्नी स्वरूप रानी की चार संतानों में जवाहर लाल नेहरू सबसे बड़े थे।

जवाहर लाल नेहरू की इच्छा की वह बतौर वकील प्रैक्टिस करें लेकिन यह काम कुछ दिन तक ही कर सके।
महात्मा गांधी जिस तरह अंग्रेजों से देश को मुक्त कराने के लिए अभियान चला रहे थे उसे नेहरू जी काफी प्रभावित हुए और महात्मा गांधी के साथ हो लिए।

आजादी के आंदोलन में पंडित नेहरू को 1929 में पहली बार जेल हुई।इसके बाद कई बार उनकी गिरफ्तारी हुई। उस समय नेहरू जी ने अपने मां-बाप और बीमार पत्नी को खो दिया था।उसके बाद उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने पूरे समय का बलिदान दिया।

नेहरु जी की मृत्यु कब और कैसे <<<

नेहरु जी अपने पड़ोसी देश चीन व् पाकिस्तान के साथ संबद्ध सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे. उनकी सोच थी कि हमें अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना चाहिए, लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया, जिससे नेहरु जी बहुत आघात पहुंचा. पाकिस्तान से भी काश्मीर मसले के चलते कभी अच्छे सम्बन्ध नहीं बन पाए.

नेहरु जी की 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से ‘स्वर्गवास’ हो गया. उनकी मौत भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षती थी.

देश के महान नेताओं व् स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनकी याद में बहुत सी योजनायें, सड़क बनाई गई. जवाहरलाल नेहरु स्कूल, जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि की शुरुवात इन्ही के सम्मान में की गई.

जीवन परिचय बिंदु <<<

पूरा नाम- पंडित जवाहरलाल नेहरु
जन्म – 14 नवम्बर 1889
जन्म स्थान – इलाहबाद, उत्तरप्रदेश
माता का नाम – स्वरूपरानी नेहरु
पिता का नाम- मोतीलाल नेहरु
पत्नी – कमला नेहरु (1916)
बच्चे – इंदिरा गाँधी
नेहरू का मृत्यु – 27 मई 1964, नई दिल्ली

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